जल्दी बिक जाएगी ये दवा कम्पनी, आज़ादी से पहले हुई थी शुरू

Indian News Desk:

HR Breaking News, New Delhi : आजादी से पहले शुरू हुई दवा कंवनी सिप्ला (Cipla) बिकने के कगार पर पहुंच गई है. इस कंपनी की डील पर कांग्रेस के सीनियर नेता जयराम रमेश ने कहा कि देश की प्रमुख दवा कंपनी सिप्ला के ‘ब्लैकस्टोन’ द्वारा ‘अधिग्रहण’ को लेकर दुखी होना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह कंपनी देश के राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक इतिहास का हिस्सा रही है. उन्होंने एक खबर का हवाला देते हुए दावा किया कि दुनिया का सबसे बड़ा प्राइवेट इक्विटी फंड (Private Equity Fund) ‘ब्लैकस्टोन’ (Blackstone) सिप्ला के प्रमोटर की 33.47 प्रतिशत की हिस्सेदारी हासिल करने के लिए अगले सप्ताह तक गैर बाध्यकारी बोली लगा सकता है.
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33.47 प्रतिशत की हिस्सेदारी बिकेगी
कांग्रेस महासचिव रमेश ने ट्वीट किया कि ‘यह जानकर दुख हुआ कि दुनिया का सबसे बड़ा प्राइवेट इक्विटी फंड (Private Equity Fund) ‘ब्लैकस्टोन’ (Blackstone) देश की सबसे पुरानी दवा कंपनी सिप्ला में पूरी 33.47 प्रतिशत की प्रवर्तक की हिस्सेदारी हासिल करने के लिए बातचीत कर रहा है. सिप्ला की शुरुआत 1935 में ख्वाजा अब्दुल हामिद के द्वारा की गई थी. ख्वाजा अब्दुल हामिद पर महात्मा गांधी, पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल और मौलाना अबुल कलाम आजार का गहरा प्रभाव था. उन्होंने सीएसआईआर (CSIR) के निर्माण में अहम भूमिका निभाई.’
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भारतीय राष्ट्रवाद का चमकदार उदाहरण बनकर उभरा
उन्होंने कहा, ‘सिप्ला जल्द ही भारतीय राष्ट्रवाद का चमकदार उदाहरण बनकर उभरा. उनके बेटे यूसुफ हामिद ने सिप्ला को कम लागत वाली जेनेरिक दवाओं का दुनियाभर में आपूर्तिकर्ता बनाया. इसी कंपनी ने अमेरिकी, जर्मन और ब्रिटिश एकाधिकार और पेटेंट धारकों को सफलतापूर्वक चुनौती दी.’ उनके अनुसार, ‘यूसुफ हामिद ने कई अन्य भारतीय कंपनियों के लिए अलग-अलग देशों में खुद को स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया. वह सबसे आकर्षक और दिलचस्प व्यवसायियों में से एक हैं जिन्हें जानने का मुझे सौभाग्य मिला है.’
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जयराम रमेश ने कहा, ‘सिप्ला भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक इतिहास का एक अभिन्न अंग है और ब्लैकस्टोन द्वारा इसके तुरंत अधिग्रहण से सभी को दुखी होना चाहिए.’