सुखी जीवन जीने के ये चार मंत्र, इनमें छुपा है खुशियों का खजाना!

Indian News Desk:

एचआर ब्रेकिंग न्यूज, नई दिल्ली: मानव जीवन उतार-चढ़ाव से भरा है। दुख है तो सुख बाद में आएगा, आचार्य चाणक्य ने सुखी जीवन के लिए कई मंत्र दिए हैं। चाणक्य ने श्लोकों के माध्यम से अपने विचारों को लोगों से साझा किया। समृद्ध और सुखी जीवन के लिए चाणक्य के विचार बहुत मूल्यवान हैं। चाणक्य के अनुसार जीवन का सबसे बड़ा सुख चार चीजों में छिपा है, जो इन्हें स्वीकार कर लेता है उसका घर स्वर्ग जैसा हो जाता है। आइए जानते हैं सुखी जीवन के चार रहस्य।
धैर्य के समान कोई तपस्या नहीं है, सुख के समान कोई संतोष नहीं है।
रोग के समान कोई प्यास नहीं है, दया के समान कोई धर्म नहीं है
शांति
चाणक्य ने कहा था समस्या कितनी भी बड़ी क्यों न हो शांति ही हर समस्या का समाधान है। चाणक्य श्लोक में कहते हैं कि शांति से बड़ी कोई तपस्या नहीं है। आजकल तमाम भौतिक सुखों के बावजूद लोगों के मन में शांति नहीं है। जिसका मन अशांत है वह सारे अवसर पाकर भी सुखी नहीं रह सकता। मन पर नियंत्रण करने से शांति मिलती है। कबीरदास जी ने भी कहा था कि ईश्वर की प्राप्ति माला फेरने से नहीं बल्कि एकाग्र मन से होती है।
संतुष्ट
चाणक्य कहते हैं कि जीवन में संतोष ही मनुष्य का सबसे बड़ा धन और शक्ति है। कहा जाता है कि एक संतुष्ट जीवन एक सफल जीवन से बेहतर है, क्योंकि सफलता हमेशा दूसरों द्वारा आंकी जाती है जबकि संतुष्टि अपने मन और मस्तिष्क द्वारा महसूस की जाती है। संतोष के लिए अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण की आवश्यकता होती है।
प्यास
चाणक्य ने कहा, कामवासना एक रोग की तरह है, जिसका समय रहते इलाज न किया जाए तो यह जीवन भर कष्ट देता है। कुछ पाने की चाह लोगों को गलत रास्ते पर ले जाती है, जिससे उनकी सारी सुख-शांति छिन जाती है। लालच सोचने की क्षमता को नष्ट कर देता है। जिसने इसे पार कर लिया, उसका जीवन स्वर्ग से बढ़कर है।
दया
दया का भाव मनुष्य को कुशल बनाता है। दया की भावना व्यक्ति को बुरे कर्म करने से रोकती है। ऐसे लोग पाप के भागी नहीं होते, उन्हें अपराध बोध नहीं होता।