हाईकोर्ट ने कहा कि क्या बहू अपने ससुराल वालों से भरण-पोषण का दावा कर सकती है

Indian News Desk:

हाईकोर्ट - हाईकोर्ट पर आपके कई धुनों से भरण-पोषण का दावा करना संभव नहीं है

एचआर ब्रेकिंग न्यूज, डिजिटल डेस्क- छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट ने बहू के भरण-पोषण पर बड़ा फैसला दिया है. यह फैसला विधवा बहू के पक्ष में दिया गया है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर कोई हिंदू विधवा अपनी आय या अन्य संपत्ति पर गुजारा नहीं कर सकती है तो वह अपने ससुराल वालों से भरण-पोषण का दावा कर सकती है।

मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस दीपक कुमार तिवारी की खंडपीठ ने की. कोर्ट ने कहा कि अगर ससुराल वाले पति की मौत के बाद बहू को घर से निकाल देते हैं या महिला अलग रहती है तो वह कानूनी रूप से भरण-पोषण की हकदार है।

बिलासपुर हाईकोर्ट ने भी ससुर की याचिका खारिज कर दी। हिंदू मैरिज एक्ट के तहत यह फैसला भविष्य में मिसाल बनेगा। एक महिला के ससुर ने फैमिली कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के 2500 रुपए भरण-पोषण के आदेश में संशोधन करते हुए बहू को 4000 रुपए प्रतिमाह देने का निर्देश दिया।

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याचिका के अनुसार कोरबा निवासी युवती की शादी 2008 में जांजगीर-चांपा जिले के बिर्रा निवासी युवक से हुई थी. महिला के पति की 2012 में मौत हो गई थी। ससुराल वालों ने महिला को घर से निकाल दिया, जिसके बाद वह मायके में रहने लगी. 2015 में विधवा जांजगीर ने फैमिली कोर्ट में परिवाद दायर कर ससुराल वालों से भरण-पोषण की मांग की। अदालत ने विधवा के पक्ष में गुजारा भत्ता देने का फैसला किया। परिवार अदालत के आदेश को विधवा के ससुर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

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इस फैसले को अवैध करार देते हुए ससुराल पक्ष के एक वकील ने कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट के तहत महिला अपने पति से मेंटेनेंस क्लेम कर सकती है, लेकिन ससुराल वालों से नहीं। मैंने अपनी बहू को घर से नहीं निकाला, बल्कि वह खुद मामा के घर चली गई। इसलिए फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद स्पष्ट किया कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत महिला के पति की मृत्यु के बाद बहू की जिम्मेदारी उसके ससुर और सास पर आती है। -कानून। अगर बहू को अलग कर दिया जाता है या घर से निकाल दिया जाता है तो कानून बहू को भरण-पोषण का अधिकार देता है।

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