High Court ने ASI से पूछा अब आप सीन में कहां से आ गए, 3 घंटे रूकी रही सुनवाई

Indian News Desk:
HR Breaking News, New Delhi : इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी मामले पर सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने यह दलील भी दी कि वाराणसी जिला अदालत में सुने गए सिविल वाद की पोषणीयता का बिंदु विचाराधीन रहते कोई भी आदेश न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। जरूरी है कि पहले इस विधिक प्रश्न को हल किया जाए। इसके बगैर सर्वेक्षण उचित नहीं है।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल शशि प्रकाश सिंह से पूछा कि एएसआई ज्ञानवापी में क्या करेगी और क्यों वहां जा रही है। यह भी सवाल किया कि एएसआई किस तरह सर्वेक्षण करेगी। खुदाई करेंगे या नहीं? शशि प्रकाश सिंह ने जवाब दिया कि एएसआई ही इस बारे में स्पष्ट जानकारी दे सकेगी।
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इसके बाद कोर्ट ने करीब 12:45 बजे एएसआई के वैज्ञानिकों को वाराणसी से तलब किया। उन्हें प्रयागराज आने के लिए तीन घंटे का समय दिया गया। इस दौरान सुनवाई रुकी रही। वाराणसी से साढ़े चार बजे आनन-फानन पहुंचे एएसआई के अतिरिक्त महानिदेशक आलोक त्रिपाठी ने हलफनामा दाखिल किया।
कोर्ट ने उनसे पूछा कि न आप पक्षकार हैं, न आपको अदालती आदेश की प्रति तामील कराई गई तो आप पिक्चर में कैसे आ गए? उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन से मिली जानकारी के बाद सर्वेक्षण का काम शुरू किया था। यह दायित्वों के निर्वहन का हिस्सा था।
इससे पहले, इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के विरोध में दाखिल याचिका पर बुधवार को सुनवाई शुरू होते ही मुस्लिम पक्ष ने कहा कि जल्दबाजी में वैज्ञानिक सर्वे से ज्ञानवापी के मूल ढांचे को नुकसान होगा। हालांकि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इस दलील को सिरे से खारिज कर दिया।
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एएसआई ने यह भी जोड़ा कि सर्वे का पांच फीसदी काम हो चुका है, कोर्ट की इजाजत मिली तो 31 जुलाई तक इसे पूरा कर लेंगे। कोर्ट ने सर्वे पर लगी रोक बढ़ाते हुए बृहस्पतिवार दोपहर साढ़े तीन बजे पुनः सुनवाई का निर्णय लिया है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की अदालत में बुधवार सुबह साढ़े नौ बजे से ज्ञानवापी के सर्वे के विरोध में दाखिल मुस्लिम पक्ष की याचिका पर विधिवत सुनवाई शुरू हुई। याची अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के वकील एसएफए नकवी ने बहस शुरू होते ही कहा, देश ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस को झेला है। अदालती आदेश की आड़ में होने वाले वैज्ञानिक सर्वे से ज्ञानवापी के मूल ढांचे को होने वाले नुकसान को रोकना जरूरी है।
नुकसान की कौन लेगा गारंटी: नकवी
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अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के वकील एसएफए नकवी ने कहा 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस का दंश देश ने झेला है। उसके अनुभव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। लिहाजा, इस संवेदनशील मामले में भी अफरा-तफरी में कोई भी फैसला लिया जाना उचित नहीं है। फिर, काशी विश्वनाथ ट्रस्ट और इंतजामिया के बीच कोई विवाद भी नहीं है, इसलिए महिलाओं का वाद दाखिल करने का कोई विधिक अधिकार नहीं बनता।
उन्होंने एएसआई को पक्षकार भी नहीं बनाया है। नकवी ने कहा कि वैज्ञानिक सर्वेक्षण को लेकर एएसआई की अति सक्रियता मन में संदेह पैदा करने वाली है। आशंका है कि असामयिक अदालती आदेश पर होने वाले वैज्ञानिक सर्वेक्षण से ज्ञानवापी परिसर में खोदाई की जाएगी और मूल ढांचे को नुकसान पहुंचेगा। सवाल किया कि इससे होने वाले नुकसान की गारंटी कौन लेगा?
हिंदू पक्ष के वकील का दावा- 1993 तक होती थी विवादित स्थल की पूजा
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हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर तर्क दिया कि नवंबर 1993 तक विवादित स्थल पर की गई है पूजा। मां श्रृंगार गौरी, हनुमानजी, भगवान गणेश और भगवान शिव की पूजा हुई हुई है। विवादित स्थल पर परिक्रमा होती रही है। हिंदू पक्ष ने यह भी दावा किया की औरंगजेब ने मंदिर का विध्वंस किया था।