लिव इन में रहने वालों को लेकर कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला, कहा संपत्ति का अधिकार

Indian News Desk:

इस तरह से जन्म लेने वाली संतान का भी संपत्ति पर पूरा अधिकार होगा

एचआर ब्रेकिंग न्यूज, नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर कोई महिला और पुरुष लंबे समय तक साथ रहते हैं तो यह रिश्ता ‘शादी’ माना जाएगा। देश की सर्वोच्च अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इस रिश्ते से पैदा होने वाले बेटे को पैतृक संपत्ति में विरासत का अधिकार होगा और इस अधिकार को छीना नहीं जा सकता क्योंकि उसके ‘माता-पिता’ की शादी नहीं हुई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट (Kerala High Court) के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें कहा गया था कि शादी के सबूत के अभाव में ऐसे रिश्ते से पैदा हुए बेटे को पैतृक संपत्ति का अधिकार नहीं दिया जा सकता. जस्टिस एस अब्दुल नजीर और विक्रम नाथ की बेंच ने कहा, ‘अगर कोई महिला और पुरुष कई सालों तक पति-पत्नी के रूप में रहते हैं तो इसे शादी माना जाएगा.’

फैसला एविडेंस एक्ट की धारा 144 के तहत होगा
इस बेंच ने अपने फैसले में कहा कि यह फैसला एविडेंस एक्ट की धारा 144 के तहत लिया जाएगा. बता दें कि केरल हाई कोर्ट के 2009 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए साफ कर दिया है कि ऐसे मामलों में भी पैतृक संपत्ति पर अधिकार दिया जाएगा.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के रिश्ते तब तक शादी माने जाएंगे जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि पुरुष और महिला के बीच ऐसा कोई रिश्ता नहीं है. ऐसे स्त्री-पुरुषों को अविवाहित नहीं माना जाएगा। इस तरह के रिश्ते को ‘शादी’ नहीं साबित करने की जिम्मेदारी उस व्यक्ति की भी होगी जो इस मामले में मुकदमा दायर करेगा या आपत्ति दर्ज कराएगा।

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