12 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे चावल के रेट

Indian News Desk:

Rice Price Hike : 12 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे चावल के रेट

HR BREAKING NEWS(ब्यूरो) : भारत सिर्फ अपने लोगों को ही बल्कि पूरी दुनिया को चावल खिलाता है. वर्ल्ड के 40 प्रतिशत चावल ट्रेड पर भारत का एकछत्र राज है. इसलिए जब उसने नॉन-बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाया, तब दुबई से लेकर अमेरिका तक हाहाकार मच गया. अब संयुक्त राष्ट्र (UN) का कहना है कि इसकी वजह से दुनियाभर में चावल की कीमतें 12 साल के हाई पर पहुंच गई हैं.

यूनाइटेड नेशंस के तहत काम करने वाले फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) का कहना है कि जुलाई में वर्ल्ड राइस प्राइस इंडेक्स में 2.8 प्रतिशत की ग्रोथ देखने को मिली है. ये पिछले साल जुलाई के मुकाबले इस साल 20 गुना बढ़ गया है.

12 साल के हाई लेवल पर दाम

एफएओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते कुछ महीनों में चावल की कीमतों में तेज वृद्धि देखी गई है. इसकी कीमतें 12 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं. सितंबर 2011 के बाद ये राइस की सबसे ऊंची कीमतें हैं. चावल की कीमतें बढ़ने के पीछे यूं तो कई कारण हैं, लेकिन भारत के चावल एक्सपोर्ट बैन का भी असर बहुत पड़ा है.

कम पैदावार, भारत का एक्सपोर्ट पर बैन

इस साल अल-नीनो की वजह से चावल की पैदावार कम हुई है. वहीं भारत के मानसून पर भी इसका असर हुआ है जिससे चावल उत्पादक राज्यों में बड़े स्तर पर फसल खराब हुई है. ऐसे में भारत सरकार ने देश में चावल की कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए 20 जुलाई को भारत से नॉन-बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया.

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भारत के इस बैन से दुनियाभर में चावल की सप्लाई प्रभावित हुई है. भारत की वजह से संयुक्त अरब अमीरात को भी अपने यहां चावल के एक्सपोर्ट को बैन करना पड़ा है, क्योंकि वहां दक्षिण भारतीय समुदाय और मुस्लिम आबादी बड़ी संख्या में है. इन दोनों का ही स्टेपल फूड चावल है.
इसी तरह भारत के इस बैन के बाद अमेरिका में चावल को लेकर हाहाकार देखा गया. जिन इलाकों में भारतीयों की संख्या ज्यादा है वहां सुपर मार्केट के बाहर लंबी-लंबी लाइनें देखी गईं. स्टोर्स को ‘एक परिवार के लिए एक बैग चावल’ जैसे नियम बनाने पड़े. लोगों को करीब 10 किलो चावल के लिए अमेरिका में तीन गुना तक दाम चुकाना पड़ा है.

 

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