नौकरी छोड़ लॉन्ड्री शुरू करें, आज टर्नओवर 116 करोड़ रुपए सालाना है

Indian News Desk:
एचआर ब्रेकिंग न्यूज (नई दिल्ली)। एक मध्यमवर्गीय परिवार का युवा आमतौर पर सरकारी नौकरी की तलाश में रहता है। पक्की नौकरी की तलाश है। प्राइवेट नौकरी है तो बड़े बैनर की जरूरत है। इतना कुछ करने के बाद भी लखनऊ का गौरव निगम अच्छा काम करता है। और कपड़े धोने लगे। यकीन नहीं होता, लेकिन यह सच है। वर्तमान में देश के 180 से अधिक शहरों में उनके 585 स्टोर हैं। पिछले साल उनके स्टार्टअप ने 116 करोड़ रुपए के कपड़े धोए।
करियर की शुरुआत एयरटेल से
लखनऊ के रहने वाले गौरव ने वहां के प्रसिद्ध ला मार्टिनियर कॉलेज से बी.कॉम की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद सिम्बायोसिस, पुणे से एमबीए किया। इसके बाद उन्हें टेलिकॉम सेक्टर की कंपनी एयरटेल में नौकरी मिल गई। वहां 12 साल तक काम करने के बाद, वह मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनी लावा के प्रोडक्ट हेड बन गए। अपनी नौकरी छोड़ने के बाद, उन्होंने नवीन चावला के साथ टम्बलड्राई की स्थापना की। यह कंपनी देशभर में ड्राई क्लीन स्टोर चलाती है।
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टम्बलड्राई कैसे शुरू करें
गौरव निगम कहते हैं कि जब वे लावा में प्रोडक्ट हेड थे तो उन्हें हर महीने 15 दिन चीन में बिताने पड़ते थे। उस वक्त वह एक होटल में ठहरे हुए थे लेकिन वहां अपने कपड़े नहीं धो सकते थे। उसने इधर-उधर देखना शुरू किया और एक सामुदायिक ड्राईक्लीनर की दुकान मिली। उन्होंने वहीं से प्रेरणा ली और भारत में इस तरह की एक चेन बनाई। पहले वह ताज होटल, ओबेराया होटल आदि की ड्राई क्लीनिंग शाखा में पढ़ता था। दुबई में ड्राई क्लीनिंग स्टोर का भी दौरा किया। इसके बाद उन्होंने अपने स्टोर ऑफ चेन का खाका तैयार किया।
इस क्षेत्र में कोई स्थापित कंपनी नहीं है
गौरव ने कहा कि ज्यादातर सेक्टर में बड़ी कंपनियों का दबदबा है। लेकिन ड्राई क्लीनिंग एक ऐसा क्षेत्र है जो अभी भी असंगठित क्षेत्र में काम कर रहा है। इसलिए मैंने इस मामले में हाथ बंटाने की सोची। टम्बलड्री बनाने से पहले उन्होंने काफी शोध किया। ड्राई क्लीनिंग मशीन कहां से आएगी, स्टीम प्रेस मशीन कहां से आएगी, कपड़े धोने के लिए केमिकल कहां से आएगा, इस पर काफी रिसर्च हुई है। इसके बाद स्टोर के प्रारूप को अंतिम रूप दिया जाता है।
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दुनिया की सबसे बेहतरीन तकनीक चुनी गई है
TumbleDry को स्थापित करने के लिए दुनिया की सबसे अच्छी तकनीक को चुना गया था। उसने स्वीडिश कंपनी इलेक्ट्रोलक्स और स्पेनिश कंपनी डोमास से मशीनें मंगवाईं। इसकी मशीनें सबसे अच्छी हैं। इसी तरह स्टीम प्रेस के लिए इटली की कंपनी ट्रेविले से मशीनें मंगवाई गई थीं। कपड़े धोने के रसायनों के लिए बायोडिग्रेडेबल घटक देखे गए हैं। फिर जर्मन कंपनी Seitz के ड्राई क्लीनिंग केमिकल्स को चुना गया। इनका इस्तेमाल देश भर में फैले कंपनी के स्टोर्स में किया जाता है।
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चार साल में 585 स्टोर
कंपनी केवल चार साल से काम कर रही है। इतने ही दिनों में कंपनी देश के 180 से ज्यादा शहरों में पहुंच गई। वर्तमान में कंपनी 585 ड्राई क्लीन स्टोर चलाती है। यह हर दिन बढ़ रहा है। गौरव निगम का कहना है कि वह हर दिन एक नई दुकान खोल रहे हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि बहुत जल्द इनकी दुकानों की संख्या 600 के पार हो जाएगी। जहां तक रेवेन्यू की बात है तो उनकी कंपनी ने पिछले साल 116 करोड़ रुपए की कमाई की।