एक दिन संसद चलाने में इतने करोड़ का होता है खर्चा, रकम जान उड़ जाएंगे होश

Indian News Desk:
HR Breaking News (नई दिल्ली)। संसद में 20 जुलाई से मानसून सत्र जारी है, जो 11 अगस्त, 2023 तक चलेगा। हालांकि, मणिपुर मामले को लेकर दोनों ही सदनों में खूब हंगामा हो रहा है। इसी को देखते हुए पिछले कुछ समय से संसद में कामकाज को लेकर सवाल उठते रहे हैं। संसद में होने वाले हंगामे और बहिष्कार के बीच जो समय खराब होता है, इसको लेकर भी सवाल खड़े किए जाते है।
क्या आपको ये पता है कि संसद में एक दिन सत्र को कराने में कितनी मोटी रकम खर्च होती है? हमारे और आपके द्वारा चुने गए नेताओं के संसद में शोर और हल्ला करने से देश की इकोनॉमी पर काफी असर पड़ रहा है।
आप जान कर हैरान होंगे कि देश में रहने वाले टैक्सपेयर्स का पैसों का नुकसान हर घंटे केवल संसद में नेताओं के हो-हल्ले के कारण हो रहा है। संसद की कार्यवाही पर कितना खर्च आता है, इससे पहले संसद के मानसून सत्र का शेड्यूल, कामकाज और तीन सत्र के बारें में आपको जानकारी दे देते है।
क्या है संसद के मानसून सत्र का शेड्यूल?
देश का मानसून सत्र 20 जुलाई, 2023 से शुरू हुआ और 11 अगस्त को यह खत्म होगा।
इस दौरान संसद में हुए विरोध प्रदर्शन के कारण किसी भी मुद्दे पर ठीक से चर्चा नहीं हो पाई है।
अब तक दोनों ही सदन लोकसभा और राज्यसभा हंगामेदार रहा।
सुबह 11 बजे से संसद की कार्यवाही शुरू होती है, जो शाम 6 बजे तक चलती है।
इस बीच सांसदों को लंच ब्रेक भी मिलता है, जो दोपहर 1 से 2 के बीच होता है।
शानिवार और रविवार को छोड़ 5 दिन संसद की कार्यवाही जारी रहती है।
अगर सत्र के दौरान कोई त्योहार पड़ जाए तो संसद का अवकाश माना जाता है।
संसद के तीन सत्र कब कब होते हैं?
बजट सत्र – फरवरी से लेकर मई
मानसून सत्र – जुलाई से अगस्त-सितंबर
शीत सत्र – नवंबर से दिसंबर
संसद की कार्यवाही पर कितना खर्च?
संसद की प्रत्येक कार्यवाही पर करीब हर मिनट में ढाई लाख (2.5 लाख) रुपये खर्च का अनुमान है।
आसान भाषा में समझें तो एक घंटे में डेढ़ करोड़ रुपये (1.5 करोड़) खर्च हो जाता है।
संसद सत्र के 7 घंटों में एक घंटा लंच को हटाकर बचते है 6 घंटे।
इन 6 घंटों में दोनों सदनों में केवल विरोध, हल्ला और शोर होता है, जिसके कारण हर मिनट में ढाई लाख रुपये बर्बाद हो रहे हैं।
संसद में हंगामा होने के कारण आम आदमी का ढाई लाख रुपए हर मिनट बर्बाद होता है।
कैसे खर्च होता है यह पैसा?
सांसदों के वेतन के रूप में ये पैसे खर्च होते है।
संसद सचिवालय पर आने वाले खर्च।
संसद सचिवालय के कर्मचारियों के वेतन।
सत्र के दौरान सांसदों की सुविधाओं पर होने वाले खर्च।
कहां से आते है यह पैसे?
संसद की कार्यवाही के लिए जो पैसे खर्च किए जाते हैं वो हमारी और आपकी कमाई का हिस्सा होता है।
ये वहीं रकम होती है, जिसे हम टैक्स के रूप में भरते हैं।
सांसदों का वेतन कितना होता है?
लोकसभा की आंकड़ों के मुताबिक, सांसदों को हर महीने 50,000 रुपये सैलरी दी जाती है।
वहीं, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता के रूप में सांसदों को 45,000 रुपये वेतन दिया जाता है।
इसके अलावा सांसदों का कार्यालय खर्च भी होता है, जो 15,000 रुपये होता है।
साथ ही सचिवीय सहायता के रूप में सांसदों को 30,000 रुपये दिए जाते हैं।
इसका मतलब है कि सांसदों को प्रति माह 1.4 लाख रुपये सैलरी दी जाती है।
सांसदों को सालभर में 34 हवाई यात्राओं का लाभ मिला हुआ है।
सांसद ट्रेन और सड़क यात्रा के लिए सरकारी खजाने का इस्तेमाल कर सकते है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
लोकसभा के पूर्व सचिव एस के शर्मा से जब संसद में प्रतिदिन कुल खर्च को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने संसद की तुलना सफेद हाथी से की। उन्होंने कहा कि संसद सफेद हाथी है, जिसको पालना यानी कि चलाना एक अलग ही टास्क है।
उन्होंने उदाहरण के तौर पर बताया कि संसद में पूछे जाने वाले एक सवाल के लिए लाखों टन पेपर प्रिंट होते हैं, जिन्हें अलग-अलग मंत्रालयों में भेजा जाता है। जिसके लिए प्रिंट करने के लिए कागज, स्याही, लोग, गाड़ी, पेट्रोल-डीजल से जैसे तमाम खर्चे होते हैं। आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि संसद की एक दिन की कार्यवाही में कितना पैसा खर्च होता है।