जैसा कि मौसम विभाग ने बताया है, मार्च अधिक गर्म रहने की संभावना है

Indian News Desk:

एचआर ब्रेकिंग न्यूज (ब्यूरो)। ग्लोबल वार्मिंग और बढ़ता प्रदूषण उत्तर प्रदेश के मौसम को प्रभावित कर रहा है। इस फरवरी में कम पश्चिमी विक्षोभ के कारण रिकॉर्ड तोड़ गर्मी देखी गई है और बेमौसम गर्म मौसम की शुरुआत मौसम को बदल रही है। यही स्थिति रही तो मार्च माह में ही पारा 40 डिग्री के पार जा सकता है। कम सर्दियां और पहले गर्मियों के साथ, यह मौसम चक्र को प्रभावित कर रहा है। तापमान के साथ-साथ मेरठ का वायु गुणवत्ता सूचकांक भी बढ़ रहा है। हवा की गति कम होने से शहर की हवा प्रदूषित हो रही है। मेरठ एनसीआर में सबसे ज्यादा प्रदूषित है।
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मौसम वैज्ञानिक डॉ. सुभाष कहते हैं, 29 जनवरी के बाद से कोई पश्चिमी विक्षोभ नहीं बन रहा है, जिससे मौसम गर्म हो रहा है। इस साल जनवरी में भी करीब 8 पश्चिमी विक्षोभ बनने थे, लेकिन अभी दो ही बन पाए हैं। इसका असर फरवरी में भी देखने को मिला था। मौसम विभाग ने दिन का अधिकतम तापमान करीब तीस डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान चौदह डिग्री सेल्सियस दर्ज किया। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि फरवरी और मार्च में गर्म मौसम होना ठीक नहीं है। इसका असर आने वाले दिनों में भी मौसम में देखने को मिलेगा। इन दिनों तापमान सामान्य रहना चाहिए।
122 साल में सबसे गर्म फरवरी
उन्होंने यह भी कहा कि मौसम का तापमान बढ़ना फसलों के लिए भी अच्छा नहीं है। मेरठ की हवा की गुणवत्ता में दो दिन पहले तेज हवाओं के कारण सुधार हुआ था, लेकिन हवा की गति कम होने से पिछले कुछ दिनों में फिर से हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। एक्यूआई का बढ़ता स्तर शहरवासियों के लिए हानिकारक है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तापमान और बढ़ेगा। फरवरी में तापमान ने करीब 122 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। आंकड़ों के मुताबिक 122 साल में फरवरी में इतनी गर्मी नहीं पड़ी है।
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किसानों की फसल पर संकट
किसानों का कहना है कि पश्चिमी यूपी में तापमान बढ़ने से गेहूं की फसल झुलस सकती है। समय से पहले गर्म होने और सामान्य से अधिक तापमान से गेहूं की फसल को नुकसान हो सकता है। वर्तमान मौसम गेहूं की फसल के अनुकूल नहीं है। ऐसे में गेहूं के उत्पादन और गुणवत्ता पर भी असर पड़ेगा। 15 से 20 जनवरी तक किसान पछेती फसल की बुआई करें। ऐसे में मौजूदा मौसम गेहूं की फसल के लिए अनुकूल नहीं है।
मरीजों की संख्या में इजाफा
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गेहूं की फसल के लिए तापमान कम और मौसम उमस भरा होना चाहिए, लेकिन फरवरी की शुरुआत से ही यहां का मौसम सख्त हो गया है। इससे गेहूं की फसल पर संकट खड़ा हो गया है। वहीं, मौसम की मार से मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि इस मौसम में सभी को अपना खास ख्याल रखने की जरूरत है।