Loan लेने से पहले जान लें सैलरी और EMI का ये फॉर्मूला

Indian News Desk:

HR BREAKING NEWS , DELHI : कभी-कभी लगता है कि अगर जिंदगी बिना कर्ज के गुजरे, तो कितना अच्छा हो. ना दोस्त, नाते-रिश्तेदार और न ही पैसों के लिए बैंक के आगे हाथ फैलाने की जरूरत हो. लेकिन, बढ़ती महंगाई और बढ़ती ज़रूरतों के बीच कई मौके ऐसे आते हैं जब हमें लोन की ज़रूरत पड़ ही जाती है. छोटी-मोटी जरूरत के लिए हम अपने दोस्तों से पैसे ले लेते हैं और सैलरी आने पर चुका देते हैं. पर कई बड़े खर्चे ऐसे होते हैं जिनके लिए हमें बैंक से लोन लेने की ज़रूरत पड़ जाती है. जैसे कार लोन, होम लोन, एजुकेशन लोन या किसी इमरजेंसी के लिए पर्सनल लोन.
पर लोन लेते समय इस बात का ध्यान रखना भी ज़रूरी है कि रोजमर्रा के खर्चों से जूझते हुए लोन चुकाना भी पड़ेगा. लोन एक लॉन्ग टर्म कमिटमेंट होता है, जिसका आपके फाइनेंस पर अच्छा खासा असर पड़ता है. इसलिए लोन लेने से पहले ये प्लानिंग जरूरी है कि आपकी सैलरी का कितना हिस्सा लोन में जाएगा, कितना आपकी रोजमर्रा की जरूरतों में लगेगा, कितने पैसे आपकी सेविंग्स और इनवेस्टमेंट में जाएंगे और इमरजेंसी के लिए पैसे बचेंगे या नहीं.
क्या है सैलरी और EMI का फॉर्मूला?
आप नौकरीपेशा हों या फिर आपका कोई बिजनेस हो. सैलरी में तो हर महीने एक फिक्स्ड अमाउंट हाथ में आता है, वहीं बिजनेस में भी एक तय लमसम अमाउंट लगभग हर महीने आपको मिलता ही है. आइडियली आपकी इन हैंड सैलरी या फिर बिजनेस से होने वाली मंथली कमाई का अधिकतम 35 से 40 प्रतिशत हिस्सा लोन की EMI में जाना चाहिए. क्योंकि आपकी मंथली इनकम का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा आपके रहने-खाने, रोजमर्रा के दूसरो खर्चों, इनवेस्टमेंट, इंश्योरेंस और सेविंग्स में खर्च होता है. EMI तय करते हुए इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है कि आपकी जरूरत के लिए पर्याप्त पैसा आपके पास बचे, वहीं इमर्जेंसी के लिए भी आपके पास फंड रहे. नहीं तो आपके ऊपर आर्थिक दबाव बढ़ जाएगा.
उदाहरण के लिए अगर आपकी कमाई एक लाख रुपये है तो आपके लोन की EMI अधिकतम 40 हजार रुपये होनी चाहिए. बाकी के 60 हजार रुपये आपके दूसरे खर्चों और सेविंग्स में इस्तेमाल होंगे.