जानिये चलती ट्रेन में ड्राइवर को आ जाए नींद, तो कैसे होगी कंट्रोल

Indian News Desk:

HR Breaking news (ब्यूरो) : भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है. हर रोज करोड़ों लोग इससे सफर करते हैं. ऐसे में इसे चलाने वाले ड्राइवर पर पर भी काफी जिम्मेदारी होती है. हाल ही वाहन चलाते समय झपकी लगने के कारण क्रिकेटर रिषभ पंत के रोड एक्सीडेंट में बुरी तरह जख्मी होने की खबर आई थी. ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है, हजारों किलोमीटर का सफर करने वाले ट्रेनों के ड्राइवर को बीच रास्ते अगर नींद लग जाए तो क्या होगा? या फिर अगर बीच रास्ते ड्राइवर की तबीयत खराब हो जाए तो आखिर ट्रेन में सफर कर रहे लाखों पैसेंजर्स की जान का क्या होगा? आइए जानते हैं रेलवे (Indian Railways) ने पैसेंजर्स की सुरक्षा के लिए आखिर क्या तरीके अपनाए हैं?
ट्रेन में होते हैं 2 ड्राइवर
आपको बता दें कि हर ट्रेन में हमेशा 2 ड्राइवर होते हैं, जिसमें से एक लोको पायलट और दूसरा असिस्टेंट लोको पायलट होता है. ऐसे में अगर मेन लोको पायलट को नींद आने लगे तो दूसरा असिस्टेंट लोको पायलट ट्रेन की कमान अपने हाथ में ले लेता है. अगर कोई इमरजेंसी हो तो वह मेन लोको पायलट को जगा देता है. वहीं अगर मेन लोको पायलट की तबीयत खराब भी हो जाए तो असिस्टेंट लोको पायलट ट्रेन की कमान अपने हाथ में लेकर उसे अगले स्टेशन तक जाता है. जहां कोई दूसरी व्यवस्था की जाती है.
क्या हो अगर दोनों लोको पायलट को नींद आ जाए
ऐसे में आप सोच सकते हैं कि अगर दोनों लोको पायलट को नींद आ जाए तो क्या होगा? हालांकि ऐसा होने की संभावना बहुत कम है, लेकिन ऐसी स्थिति के लिए भी रेलवे पूरी तरह से तैयार है. ट्रेन ने इसके लिए एक ऐसी व्यवस्था कर रखी है, जिसमें अगर ट्रेन के दोनों ड्राइवर सो जाएं, तो ट्रेन खुद-ब-खुद रूक जाएगी और कंट्रोल रूम को इसकी जानकारी भी मिल जाएगी.
कैसे काम करता है ये सिस्टम
ट्रेन चलाते समय लोको पायलट को हर कुछ देर में स्पीड कम ज्यादा करना होता है, इसके अलावा समय-समय पर हॉर्न भी बजाना होता है. ऐसे में अगर ट्रेन का ड्राइवर 1 मिनट तक कोई मूवमेंट न करे तो ट्रेन में लगा एक डिवाइस एक्टिवेट हो जाता है. इसे विजिलेंस कंट्रोल डिवाइस कहा जाता है. यह ड्राइवर को एक तरह का ऑडियो विजुअल अलार्म देता है, जिस पर ड्राइवर को 17 सेकेंड के अंदर रिस्पॉन्स देना होता है. अगर ड्राइवर इसका रिस्पॉन्स नहीं देता है तो 17 सेंकेंड के अंदर ट्रेन में खुद-ब-खुद ब्रेक लगने लगता है. इसका मतलब है कि अगर ट्रेन में मौजूद दोनों लोको पायलट सो भी जाएं तो ट्रेन किसी हादसे का शिकार होने से बची रहती है.