टैक्स चोरी करने वाले लोगों के रिश्तेदारों के घर छापा मारना सही या गलत, सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कही बड़ी बात

Indian News Desk:

HR Breaking News, Digital Desk- इनकम टैक्स को लेकर छापेमारी पर गाइडलाइन बनाने की गुहार लगाने के लिए दाखिल याचिका पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी के रिश्तेदारों और खास लोगों की जांच सही है. कोर्ट ने कहा कि उनके यहां छापा मारने या जांच करने में कोई कानूनी स्वामी नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने फैसले में आयकर नियमों में संशोधनों को जायज और न्याय संगत बताया. पीठ ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने जांच के शाब्दिक अर्थ को काफी सीमित कर दिया था जबकि इसका अर्थ काफी व्यापक है. सीमित अर्थ से तो टैक्स चोर आसानी से बच निकलते हैं, लेकिन विधायिका यानी संसद ने 2015 में जिस नजरिए और मकसद से आयकर अधिनियम के 153C में इन संशोधनों को अपनी मंजूरी दी थी वो काफी सशक्त और सख्त हैं.
टैक्स चोरी करने वाला कोई भी बचना नहीं चाहिए क्योंकि संसद ने संशोधन करते हुए नियम में लिखित आरोपी से संबंध रखने वाला की जगह ‘आरोपी से जुड़ा हुआ है या जुड़ता है ‘ को मंजूरी दी. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एक्ट की धारा-153 सी के तहत जो बदलाव हुआ है वह बदलाव की तारीख से पहले के मामले में भी लागू होगा यानी बदला हुआ कानून पहले के सर्च के मामले में भी प्रभावकारी होगा.
एक्ट की धारा-153C में प्रावधान है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उस व्यक्ति के खिलाफ भी कार्रवाई कर सकता है जिसके बारे में सर्च के दौरान जानकारी मिली है. यानी जिसके खिलाफ सर्च ऑपरेशन चल रहा है और उस दौरान कुछ जानकारी तीसरे व्यक्ति के बारे में मिले तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई का रेवेन्यू डिपार्टमेंट (इनकम टैक्स विभाग) को अधिकार होगा. इस बदलाव के बाद विभाग को यह अधिकार मिल गया है कि वह ऐसे तीसरे व्यक्ति के खिलाफ भी कार्रवाई कर सकता है अगर सर्च में मिले मैटेरियल में उसका नाम आया है.