पति की खानदानी प्रोपर्टी में पत्नी को कितना मिलेगा हिस्सा, जानिए क्या कहता है देश का कानून

Indian News Desk:

HR Breaking News, Digital Desk- एक ​महिला बेटी या बहू होने के ​अलावा एक पत्नी भी होती है. सामाजिक तौर पर आप महिलाओं को मिलने वाले अधिकार के लिए अपने विचार रख सकते हैं, उसपर बहस कर सकते हैं. लेकिन, कानूनी तौर पर ​महिलाओं को कई तरह के अधिकार मिले हैं. बहुत कम लोगों को इन अधिकारों के बारे में पता होता है. आज हम आपको महिलाओं के लिए प्रॉपर्टी से जुड़े कुछ ऐसे ही अधिका​रों के बारे में जानकारी दे रहे हैं. कानूनी रूप से केवली पहली ​पत्नी ही नहीं बल्कि दूसरी पत्नी को भी कई तरह के अधिकार मिलते हैं. हालां​कि, इसके लिए कुछ शर्तों को भी पूरा करना होता है. एक पत्नी को अपने पति के खानदानी प्रॉपर्टी में भी हिस्सेदारी लेने का अधिकार होता है.

तलाक का समय किसी भी कपल के लिए कई तरह के टेंशन (tension) वाला होता है. पति-पत्नी न केवल एक दूसरे से कानूनी लड़ाई लड़ रहे होते हैं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक तौर पर भी उनके लिए यह मुश्किल समय होता है. अगर तलाक से पहले दोनों एक साथ एक ही घर में रह रहे हैं तो तलाक के बाद किसे यह घर मिलेगा? अगर उनके पास प्रॉपर्टी या बैंक अकाउंट में ज्वाइंट हिस्सेदारी है तो क्या होगा?

अगर पति के नाम पर प्रॉपर्टी है-

अगर पति-पत्नी के आपसी सहमति से तलाक होता है और प्रॉपर्टी पर पति का नाम है तो पत्नी को हिस्सेदारी नहीं मिल सकती है. मान लीजिए, पत्नी उस घर में रह रही है, जिसे पति ने खरीदा है और यह उनके नाम पर है तो तलाक के बाद पत्नी इस प्रॉपर्टी पर दावा नहीं कर सकती है. भारतीय कानून के तहत प्रॉपर्टी पर उन्हीं का अधिकार होता है, जिसके नाम पर प्रॉपर्टी रजिस्टर्ड है. इस तरह के मामले में पत्नी अपने पूर्व पति से मेंटेनेंस की मांग कर सकती है लेकिन प्रॉपर्टी में कानूनी रूप से दावा नहीं कर सकती है.

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अगर प्रॉपर्टी का मालिकाना हक दोनों के पास हो-

आज के दौर में अधिकतर कपल्स दोनों के नाम पर प्रॉपर्टी रजिस्टर कराते हैं. इस तरह की प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक पति-पत्नी, दोनों के पास होता है. तलाक के बाद दोनों को अपनी-अपनी हिस्सेदारी पर कानूनी दावा करने का अधिकार है. हालांकि, इस दावे के लिए जरूरी है कि पत्नी यह दिखाए कि उन्होंने प्रॉपर्टी की खरीदारी में योगदान दिया है. अगर पत्नी ने प्रॉपर्टी खरीदने में योगदान नहीं दिया है लेकिन इसके बाद भी प्रॉपर्टी उनके नाम भी रजिस्टर्ड है तो संभव है कि वो इसपर दावा न कर सकें.

ज्वाइंटली मालिकाना वाली प्रॉपर्टी में पत्नी उतनी हिस्सेदारी की ही मांग कर सकती है, जितने के लिए उन्होंने खरीदारी में योगदान दिया है. ऐसे में जरूरी है कि महिलाएं भी इस तरह की प्रॉपर्टी को लेकर अपना डॉक्युमेंट्स दुरुस्त करें. अगर कपल्स चाहें तो शांतिपूर्वक अपने स्तर पर इसे लेकर समझौता कर सकते हैं. जो कोई भी प्रॉपर्टी अपने पास रखना चाहता है, वो दूसरे व्यक्ति की हिस्सेदारी को खरीद सकता है.

अगर कपल्स अलग हो चुके हैं और तलाक की प्रक्रिया चल रही है तो क्या होगा?

यह ध्यान देना है कि जब तक कोर्ट ने पति-पत्नी के बीच ‘तलाक’ पर मुहर नहीं लगाया है, तब तक दोनों के बीच कानूनी रिश्ता कायम रहता है. कोर्ट का फैसला आने तक पति की प्रॉपर्टी पर पत्नी का ही हक होता है. ऐसी भी स्थिति हो सकती है कि इस दौरान पति किसी और महिला के साथ रहने लग रहा या उनसे शादी कर ले. इस स्थिति में महिला के पास पहली पत्नी और उनके बच्चों को इस प्रॉपर्टी पर पूरा हक होगा.

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पति की प्रॉपर्टी पर महिला का हक-

पति की प्रॉपर्टी पर महिला के पास बराबर का हक होता है. हालांकि, अगर पति ने अपने वसीयत में इस प्रॉपर्टी पर से पत्नी का नाम हटा दिया है तो पत्नी का कोई हक नहीं बनेगा. इसके सिवाय पति की खानदानी प्रॉपर्टी पर पत्नी का हक होगा. पत्नी के पास अधिकार होगा कि वो अपने ससुराल में रहे.

पति की प्रॉपर्टी पर दूसरी पत्नी का अधिकार-

अगर कोई व्यक्ति अपनी पहली पत्नी से कानूनी रूप से अलग हुए बिना ही दूसरी शादी कर लेता है तो दूसरी पत्नी और उससे होने वाले बच्चे के ​अधिकार सीमित हो जाते हैं. कानूनी रूप से तलाक पूरा होने तक पहली पत्नी का ही अधिकार होता है. हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत कोई व्यक्ति एक समय में एक से अधिक विवाह नहीं कर सकता है.

अगर पहली पत्नी की मृत्यु हो जाती है या तलाक (divorce) के बाद कोई व्यक्ति दूसरी शादी कर लेता है तो दूसरी पत्नी को सभी तरह के अधिकार मिलते हैं. इसमें पति के प्रॉपर्टी पर अधिकार भी शामिल है. ऐसी स्थिति में दूसरी पत्नी को अपने पति की खानदानी प्रॉपर्टी पर भी अधिकार होगा. इस प्रकार किसी व्यक्ति के दूसरी पत्नी का कानूनी अधिकार इस बात पर निर्भर करता है कि उनकी शादी कानूनी रूप से वैध है या नहीं.

इस प्रकार भारत में कानूनी रूप से पति की प्रॉपर्टी पर पत्नी का ​अधिकार कई तरह की बातों पर निर्भर करता है.

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