हरियाणा-राजस्थान को नए हाईवे की सौगात, बिना पेट्रोल-डीजल के दौड़ेंगे वाहन

Indian News Desk:

एचआर ब्रेकिंग न्यूज (नई दिल्ली)। कल्पना कीजिए कि घर से निकलते समय पेट्रोल-डीजल या चार्ज करने की चिंता न करनी पड़े। यह कैसे संभव है आप कहते हैं? निश्चित रूप से यह है। जल्द ही आपको भारत में भी ऐसी सुविधा मिलने वाली है। हालांकि, यह संभव है कि बस या ट्रक जैसे बड़े वाहन ही इसका लाभ उठा सकेंगे। हम बात कर रहे हैं इलेक्ट्रिक हाईवे की। इसे आप इलेक्ट्रिक रेल लाइन की तरह समझ सकते हैं। इलेक्ट्रिक हाईवे में अलग-अलग लेन होते हैं जिन पर इलेक्ट्रिक केबल (बिजली की लाइनें) बिछाई जाती हैं और जो मार्ग पर भारी वाहनों को बिजली की आपूर्ति करती हैं।
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वाहनों को चार्ज करने का दूसरा तरीका सड़क के नीचे विद्युत केबल और विद्युत चुम्बकीय ट्रांसमीटर स्थापित करना है। इनसे विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होगा और यह ऊर्जा वाहन में लगे एक विशेष कॉइल द्वारा खींची जाएगी जो वाहन में लगी बैटरी को चार्ज करेगी। इस तरह कार जैसे छोटे वाहन भी इलेक्ट्रिक हाइवे पर चलाए जा सकते हैं। भारत में बनने वाले ई-हाईवे में जिस बिजली का इस्तेमाल होगा, वह सौर ऊर्जा से पैदा होने की उम्मीद है।
भारत का पहला इलेक्ट्रिक हाईवे कहाँ बनेगा?
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले मार्च में कहा था कि उनका सपना दिल्ली और जयपुर के बीच ई-हाईवे बनाने का है। उन्होंने कहा कि यह एक प्रस्तावित परियोजना है और एक विदेशी फर्म के साथ बातचीत चल रही है। जुलाई में, उन्होंने कहा कि सड़क परिवहन मंत्रालय दिल्ली और मुंबई के बीच पहला विद्युतीकृत राजमार्ग बनाने की तैयारी कर रहा है। यह स्पष्ट है कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे बनने वाला पहला ई-हाईवे होगा और संभवतः इसके लिए एक अलग लेन होगी। यानी ये हाईवे दिल्ली से शुरू होकर हरियाणा होते हुए राजस्थान पहुंचेगा.
पहले चरण में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जाएगा। गडकरी के मुताबिक इस रूट पर ट्रॉली बसों की तरह ट्रॉली ट्रक चलाए जा सकते हैं। बता दें कि ट्रॉली बसों का कॉन्सेप्ट कोलकाता में चलने वाली ट्राम की तरह ही है, जो ओवरहेड तारों से बिजली पर चलती हैं।
क्या फायदा होगा?
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अगर सौर ऊर्जा से चलने वाला ई-हाईवे बन जाता है तो भारत के लिए सबसे बड़ा फायदा जीवाश्म ईंधन पर देश की निर्भरता कम होना होगा। नतीजतन, पेट्रोलियम उत्पादों पर देश का खर्च बहुत तेजी से घटेगा। इसके अलावा यह प्रदूषण को कम करने में मदद करेगा और भारत पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाएगा।