Bihar के किसान थाइलैंड का ये फल उगाकर कर रहे मोटी कमाई

Indian News Desk:

HR Breaking News (ब्यूरो) :  लौंगन के पकने की शुरुआत हो चुकी है. जल्द ही इसे आम लोगों के लिए भी उपलब्ध कराया जाएगा. राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुशहरी में लौंगन के पौधे को प्रयोग के तौर पर लगाया था. अब यहां बड़े स्तर पर लौंगन का उत्पादन होने लगा है.

थाईलैंड और वियतनाम का मशहूर फल

लौंगन का ये फल इस सप्ताह राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र परिसर में बिक्री के लिए उपलब्ध रहेगा. लौंगन का पौधा लगाने के लिए किसानों को भी लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है. राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डा. विकास दास कहते हैं कि लौंगन थाईलैंड और वियतनाम का मशहूर फल है. यह शोध के लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र लगाया गया है. इसके जर्म प्लांट बंगाल के 24 परगना से मंगाए गए थे.

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किसानों को इस फल की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा

किसानों को लौंगन का पौधा लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. अभी जो फल लगे हैं, वह इस सप्ताह खाने के लिए उपलब्ध होंगे. दरअसल, लौंगन के पेड़ में अप्रैल में फूल लगते हैं. जुलाई के अंत में फल पक कर तैयार हो जाता है. अगस्त के पहले सप्ताह में यह खत्म भी हो जाता है.

इस फल में नहीं लगते हैं कीड़े

लौंगन लीची जैसा ही होता है. एक तरह से कह सकते हैं कि यह लीची कुल (खानदान) का ही फल है. लीची की तरह इसके भी पत्ते हैं. पेड़ भी वैसा ही है, बस यह लीची की तरह लाल और अंडाकार नहीं है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें लीची की तरह कीड़े नहीं लगते. लीची का सीजन समाप्त होने के एक माह बाद तक यह उपलब्ध होता है.

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पाए जाते हैं कई रोग-प्रतिरोधक तत्व

केंद्र के विज्ञानियों की मानें तो इसमें एंटी पेन और एंटी कैंसर तत्व पाए जाते हैं. इसमें कार्बोहाइड्रेट, कैरोटीन, विटामिन-के, रेटिनाल, प्रोटीन, फाइबर, एस्कार्बिक एसिड की मात्रा होती है. ये सारे तत्व शरीर की अलग-अलग जरूरतों को पूरा कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं.

नेचुरल स्वीटनर का करता है काम

लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर के वैज्ञानिक डॉ सुनील कुमार ने बताया कि लौंगन लीची के परिवार का ही फल है. लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर में ही इसकी खेती की शुरुआत की गई थी, और सभी पेड़ों पर अच्छी फल आ गई है. एक पेड़ पर लगभग 1 क्विंटल की उपज होगी. अभी लौंगन की फल का साइज काफी छोटा है और इसमें अभी वृद्धि होगी. 20 अगस्त से इसकी तुड़ाई शुरू होती है. लौंगन के फल में काफी मिठास होती है. यह नेचुरल स्वीटनर का भी काम करता है. लौंगन के पल्प, गुदे और बीज में काफी औषधीय गुण मौजूद है. कई तरह की औषधि बनाने में भी इसका उपयोग किया जा सकता है.

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कब की जाती है लौंगन की खेती

डॉ सुनील कुमार ने बताया कि जो भी किसान लौंगन की खेती करना चाहते हैं, उन्हें लीची की तरह ही इसके लिए भी गड्ढे करने होते हैं. मई-जून में गड्ढे को तैयार किया जाता है और जुलाई में इसकी रोपनी होती है. इसके लिए आपको पौधे मुजफ्फरपुर लीची अनुसंधान केंद्र में मिल जाएंगे. 1 साल पुराने पौधे को लेकर किसान इसकी खेती शुरू कर सकते है.

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