चाणक्य नीति: ऐसे दोस्तों से दूर रहने में ही भलाई है, जानिए क्यों

Indian News Desk:
एचआर ब्रेकिंग न्यूज (नई दिल्ली)। आचार्य चाणक्य ने अपने ग्रंथ नीतिशास्त्र में मित्रों के संबंध में अनेक सिद्धांतों का प्रतिपादन किया है। इसके साथ ही वह सच्चे और झूठे दोस्तों में फर्क भी बताते हैं। चाणक्य अपने सिद्धांतों में धन प्राप्ति के गुण की बात करते हैं। कहा जाता है कि आचार्य चाणक्य के सिद्धांतों का पालन करना कठिन था, लेकिन उन्हें अपनाने वालों को सफलता प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता था।
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आचार्य चाणक्य दूसरे अध्याय के एक श्लोक में कहते हैं कि किसी भी प्रकार के मित्र का तुरंत त्याग कर देना ही श्रेष्ठ है। आप भी जानिए चाणक्य नीति क्या कहती है-
“अप्रत्यक्ष रूप से एक जॉब किलर, सीधे तौर पर एक रमणीय वक्ता।
ऐसे मित्र से बचना चाहिए जो विष का पात्र हो और जिसके मुख में दूध भरा हो।
इस श्लोक का अर्थ यह है कि जो मित्र पीछे के काम बिगाड़ देता है और आगे आकर मीठा बोलता है, उसे उस घड़े की तरह त्याग देना चाहिए जिसके मुंह में दूध तो भरा होता है लेकिन भीतर विष होता है। चाणक्य कहते हैं, जो मित्र चिकनी-चुपड़ी बातें करता है और पीठ पीछे उसकी बुराई करके काम बिगाड़ता है, उसे छोड़ देने में ही भलाई है। चाणक्य कहते हैं कि यह एक बर्तन की तरह है, जिसके ऊपर का हिस्सा दूध से भरा होता है लेकिन अंदर जहर भरा होता है।
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जो व्यक्ति बाहर से मीठा और अंदर से नीच हो उसे मित्र नहीं कहा जा सकता। यहां एक बात ध्यान देने वाली है कि ऐसे दोस्त आपके व्यक्तिगत और सामाजिक माहौल को भी आपके प्रतिकूल बना देते हैं।