कमाल: दुनिया के एक ऐसे गांव में जहां दुल्हन के घरवाले लेते हैं दहेज, बेटे की शादी में दरिद्र हैं मां-बाप

Indian News Desk:

अजीब: दुनिया का एक ऐसा गांव, जहां के जमींदार को देनी पड़ती है दुल्हन को दहेज, शादी में गरीब होते हैं मां-बाप

एचआर ब्रेकिंग न्यूज, डिजिटल डेस्क- दरअसल, चीन के कुछ हिस्सों में दूल्हे को 16 लाख 47 हजार रुपए चुकाने पड़ते हैं। जिससे लड़के के माता-पिता गरीब हो गए। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दहेज प्रथा को रोकने के लिए एक अभियान चलाया जा रहा है। स्थानीय सरकारें Daijiapu कार्यक्रम के जरिए लोगों में जागरुकता फैलाने का काम कर रही हैं. महिलाओं को शादी में दहेज नहीं लेने की शपथ दिलाई जा रही है।

कुछ जगहों पर काली के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है। स्थानीय अधिकारी दंपति के माता-पिता से सीधे मुलाकात कर उन्हें शांत करने की कोशिश कर रहे हैं। लड़की को लोगों से शपथ पत्र मिल रहा है कि वह दहेज नहीं लेगी।

यह क्यों होता है?

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दरअसल, चीन में जनसंख्या दर तेजी से घट रही है। पुरुष और महिला जनसांख्यिकी के बीच महत्वपूर्ण अंतर भी हैं। इस देश में लड़कियों की कमी है जिसके कारण यह प्रथा जारी है। लोगों का कहना है कि चीन में ज्यादातर कानून महिलाओं को केंद्र में रखकर बनाए गए हैं। इतना ही नहीं, एक संतान नीति के कारण भी यह स्थिति उत्पन्न हुई है। बता दें कि चीन में प्रति 100 लड़कियों पर 115 पुरुष हैं। लेकिन अब इन नियमों के हटने के बाद लोग लड़कियां पैदा करने पर ध्यान देने लगे हैं।

इस संस्कार को पितृसत्ता के रूप में देखा जाता है

काली को शहरी क्षेत्रों में लोग कुलपति के रूप में देखते हैं। क्योंकि ये पैसे से लड़की को खरीदता है मतलब लड़की को बेचना। यहां के लोग बेटों की शादी से कंगाल हो रहे हैं। उन्हें अपनी सालाना आमदनी का 10 गुना खर्च करना पड़ता है।

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गांव में स्थिति और भी खराब है

शहर के कई पढ़े-लिखे जोड़े बिना दहेज के शादी करने को राजी हो रहे हैं। लेकिन गांव की स्थिति और भी खराब है। यहां लैंगिक असमानता बहुत है। लड़कियों की अधिक मांग के कारण कई लोग शादी करने से कतराते हैं।

दहेज के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं

हालांकि दहेज को लेकर कुछ नियम तय किए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में वे साढ़े तीन लाख रुपये से अधिक का भुगतान नहीं कर सकते हैं और शहरी क्षेत्रों में वे ढाई लाख रुपये से अधिक का भुगतान नहीं कर सकते हैं। शादियों के रिसेप्शन को लेकर भी कुछ नियम बनाए गए हैं। रिसेप्शन पर अधिकतम 15 टेबल हैं। प्रति टेबल लागत 3000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।

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